एक साल से ज्यादा समय हो गया है जहां कई लोगों को घर में ही रहना पड़ रहा है बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं यूनिवर्सिटी के दरवाजे विद्यार्थियों के लिए बंद है और नौकरी पेशा तो घर से ही कम काम कर रहे हैं भले ही इससे हर किसी को अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताने का मौका मिला है लेकिन संबंध और अर्थव्यवस्था को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है तनाव की स्थिति में वैवाहिक टकराव विद से संघर्ष और बाकी सब से उबरने के रास्तों की खोज सब को है।
नौकरी में बड़ा संकट (big job crisis)घर से काम करते हुए परिवार व जीवन के बीच संतुलन काम पर ध्यान ना केंद्रित करना कर पाना और काम का अकल्पनीय दबाव। ऐसी बहुत सी मुश्किलें हैं जिनका सामना लोगों को करना पड़ रहा है अनिश्चितकालीन हो चले वर्क फ्रॉम को शुरु में कामकाजी लोगों ने राहत माना जिससे ना केवल उनके यातायात का समय और खर्च बचा बल्कि कार्य जीवन के संतुलन का भी कुछ हद तक आनंद मिला इस सुनहरे समय में बादल तब चाय जब हमें बिना घड़ी देखे पूरे दिन और कई बार रात में भी काम करना पड़ा।
क्या है समाधान
किसी भी तनाव का असर काम पर ना पढ़ने से काम के प्रति अपना रवैया और काम की गुणवत्ता प्रभावित किसी रखे फिलहाल तो यह भी कह सकते हैं कि काम तो जहांन है।
काम का समय तय रखें दिन भर काम करने में परिवार के लिए समय की गुंजाइश नहीं रह जाती है। यहां निराशाजनक हो सकता है और अंतत आपके रिश्ते और उत्पादकता भी प्रभावित हो सकती है। इसके लिए अपने काम को समय पर करें और सिद्ध करके समय में ही लागू करने का लक्ष्य रखें पूरी रात जागने से बचें इससे आपकी दीर्घकालिक उत्पादकता प्रवृत्त हो सकती है काम में हमें बताएं करें अपने परिवार के समय का भी सामना करें।
रिश्तो में दिखते आना (Look into relationships)इस महामारी की वजह से नौकरियों से लेकर रिश्तों तक हर जगह नुकसान हुआ है। शुरू में जो लॉकडाउन परिवारों को करीब लाने वाला लग रहा था वहां जल्द ही बढ़ती असहमति और बहस का कारण बन गया।
क्या है समाधानउन बातों को समझने की कोशिश करें जो आपको परेशान कर रही हैं जैसे फुर्सत के पलों की कमी एक दूसरे पर हावी होना आदि फिलहाल बाहर के लोगों से मिलना कम हो रहा है तो सारी चीख घर पर ही निकल रही है। ऐसे में बार-बार एक दूसरे से उन से पढ़ना सामान्य है कुछ समय चिंताओं से दूर रहने और मन को शांति रखने के लिए थोड़ा समय निकालकर योग रनिंग जान्गिग या होम वर्कआउट करें। अपने साथी से उन मुद्दों पर बात करें जो आपको परेशान कर रहे हैं उनके सुने और साथ मिलकर समस्या का हल निकालने की कोशिश करें।
आर्थिक समस्या बढ़ाना (aggravate economic problems)इस समय पैसों की समस्या होना सामान्य है और अधिकतर लोग इस मुश्किल को झेल रहे हैं इसके कारण नौकरी छूट जाना या समय पर तनख्वाह ना मिलना या देरी से मिलना आदि हो सकते हैं। क्या है समाधान
खर्चों का फिर से आकलन करें हालत के समान होने तक घर या काम जरूरी वस्तुओं को खर्च की सूची में अलग करें और जितना हो सके जरूरी चीजों तक ही सीमित रहें जहां तक संभव हो तो धन संचय या अच्छे विकास वाले मतों में निवेश करते रहें। अपने पेशेवर ताकत को आजमाते रहे और अपने रिज्युमें पर फिर से काम करें। इस समय का उपयोग करके दोस्तों और दफ्तर के परिचितों के साथ समय बिताएं फोन पर ही सही परिवार के बड़ों से मशवरा करते रहें। उनका संबंल मददगार होगा।
बीच की दुरियां बढ़ना – increase the distanceआप लोगों के बीच की दूरियां कम की जाएंगी वहीं दूसरी ओर तकनीक के क्षेत्र में होने वाले विकास के कारण यह दूरियां और भी बढ़ गई हैं । भले ही कोई व्यक्ति बैठे-बैठे ही किसी से बातचीत कर पाता है, मगर उसने इस विकास को अपनी सहूलियत बना लिया है । ज्यादातर लोग अब अपने परिजनों से जाकर मिलने की जगह व्हाट्सएप पर ही हाल-चाल पूछ लिया करते हैं इसी कारण लोगों के बीच की दूरियां बढ़ती ही जा रही हैं।
आप बातचीत का कौशल आना करियर और व्यवसाय के लिए ही आवश्यक नहीं है बल्कि रिश्तो की मधुरता बनाए रखने के लिए भी जरूरी है । ऐसे में मनुष्य को ना केवल अपनी बात लोगों के समक्ष रखना आना चाहिए बल्कि अन्य व्यक्तियों के मन में चल रहे विचारों को भी समझना आना चाहिए । इस तरह ताली एक हाथ से नहीं बजाई जा सकती और बातचीत भी एकतरफा नहीं हो सकती । वास्तव में खयालों का आदान-प्रदान ही बातचीत कहलाता है । अगर यह आदान-प्रदान जीवन में कभी भी होने लगता है तो लोगों के बीच आपसी दूरियां जन्म लेने लगती हैं।
अनजान से मिठा बोलना रिश्तो में मधुर शुरुआत Talking sweet to unknown sweet beginning in relationshipअपनों से बात करते हैं, या किसी अनजान व्यक्ति से भी बात करते हैं दो हमें विनम्र रहकर बात करनी चाहिए । ऐसा करने से रिश्तो की मिठास बनी रहती है नए रिश्तो की एक मधुर शुरुआत हो सकती है । हमारे शब्द ही हैं जो हमारा सम्मान समाज के समक्ष बना एवं बिगाड़ सकता है तथा वह पूरी तरह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह अपनी छवि समाज में किस प्रकार प्रदर्शित करना चाहता है । इसलिए अच्छी बातें दूसरों के साथ करना ही निजी सामाजिक रिश्तो का दायीयुत है।