उल्टा सीधा खाने की आदतें अक्सर बच्चों को बीमार कर देती है लेकिन उनकी इस आदत को छुड़ाना जरूरी है।
बच्चे तो बच्चे होते हैं जो मन किया करने लगे जो मनाया खाने लगे खासतौर पर फास्ट फूड जैसी चीजें जो कभी कबार तो ठीक है लेकिन रोजाना नुकसान देगी। अब बच्चों को तो इस नुकसान की परवाह होती नहीं है ऐसे में यहां जिम्मेदारी है है आपकी कि बच्चों को कुछ भी उल्टा सीधा ना खाने दें ताकि उनकी सेहत अच्छी बनी रहे लेकिन समस्या यह है कि जिद्दी बच्चों की इस आदत को छुड़ाया कैसे जाए इसके लिए कुछ उपाय हैं जिनको आजमा कर आप अपने लाडले की इस आदत को छोड़ा सकती हैं।
पोस्टिक चीजों के बारे में बतायेगा ( Tell about nutritious things )जिस तरह हम बच्चों को जीवन में अच्छी और खराब बातों नियमों के बारे में बताते हैं। वैसे ही उनको बेहतर जीवन शैली उत्तम स्वास्थ्य और अच्छे खान-पान का भी ज्ञान कराएं। उन्हें बारीकी से यहां बताने की भी कोशिश करें कि उन्हें अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर दिन कितनी कैलोरी प्रोटीन वसा और विटामिन आज की जरूरत होगी। यह तत्व किन-किन चीजों से मिलेंगे और कितनी मात्रा में सेवन करने से शरीर में इनकी कमी को पूरा किया जा सकता है इसका लाभ यह होगा कि शुरू में ही आपका बच्चा बेहतर जीवन शैली के लिए जरूरी खाद्य पदार्थों के बारे में जानने लगेगा।
खाने का शेडयूल और रोटेशन ( Food schedule and rotation )जिस तरह स्कूल में पढ़ाई का स्विच होता है वैसा ही शेड्यूल आप अपने घर पर खाने के लिए भी बना सकती हैं। किस दिन नाश्ते लंच और डिनर में क्या लेना चाहिए इसकी साप्ताहिक सारणी बनाएं और इसमें बच्चों के खाने के सुदूर को भी शामिल करें। इसमें वीक एंड पर सिर्फ एक दिन आसपुर को शामिल करके आप बच्चों के खान-पान को संयमित कर सकती हैं।
ज्यादातर पदार्थ नहीं ( Not most material )बच्चों में यहां आदत होती है कि तमाम तरह के प्रोडक्ट के प्रचार देखकर वह खास तौर पर पेय पदार्थों के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और लगातार उसे पीने की मांग करते हैं बेहतर होगा कि इसे पदार्थों को फ्रिज में सीमित ही रखें यहां भी ध्यान रखें कि बच्चों को पूरा डिब्बा ना दें उनको इस के कुछ भाग को गिलास में निकाल कर दें उन्हें उनके खाने के समय को भी याद दिलाएं जिससे वह कम से कम जूस पी सकें। बच्चे को इसकी आदत से छुटकारा दिलाने के लिए समय-समय पर पानी पीने की याद दिलाएं। इससे बच्चा प्यास लगने पर जूस की ओर नहीं भागेगा। अगर बच्चा फिर भी जिद करे तो उसे पानी मिलाकर जूस दें और हर बार उसे यहां भी बताएं कि इससे ज्यादा नहीं पीना चाहिए।
मीठा खाने की आदत ( Have a habit of eating sweets )बच्चों को सबसे ज्यादा मीठा खाने की आदत होती है अक्सर माता-पिता भी शक्कर की कमी खाने में नहीं करते है। चॉकलेट बॉर्नविटा दूध में मिलाकर शक्कर आदि माध्यम से तो मां ही बच्चे को मिठा देती रहती है। उसके बाद अगर बच्चा अलग से मीठा खाता है तो यहां हानिकारक हो सकता है। बच्चे को अचानक मीठा खाने से मना करें ना मना करें नहीं तो वहां चोरी से खाने लगेगा इस काम को बड़े ही शालीनता के साथ करें। और खाने की चीजें उसमें मीठा को कम करें इसे धीरे-धीरे बदलें।
शिशु को नए भोजन खिलाना शुरु करें और साथ-साथ स्तनपान करवाना भी जारी रखें। इस तरह आप और आपका शिशु जब तक चाहें, तब तक आप स्तनपान जारी रख सकती हैं। शिशु भी स्तनपान से मिलने वाले सेहतमंद फायदों का लाभ उठाता रहेगा। स्तन दूध शिशु को महत्पूर्ण पोषक तत्व और प्रोटीन ऐसे रूप में प्रदान करता है, जो आसानी से पच सकेगा
शिशु के छह माह का होने के बाद भी अगर आप स्तनपान कराना जारी रखती हैं, तो आपको उसे हर दिन आयरन से भरपूर आहार देना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अब स्तनदूध से शिशु को जरुरी आयरन नहीं मिल सकेगा। अच्छी तरह पके हुए अंडे, दाल-दलहन, राजमा, लोबिया, मांसाहारी भोजन, गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां, मेवों का पाउडर और सीरियल्स आदि सभी में आयरन होता है। डॉक्टर शिशु के लिए आयरन अनुपूरक भी दीजियेगा।
बाल चिकित्सा अकादमी (आईएपी) की भी सलाह है कि अनन्य स्तनपान करने वाले और दिन में एक लीटर से कम फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशुओं को एक साल का होने तक रोजाना चार सौ यूनिट विटामिन डी मिलना चाहिए। इसलिए यदि शिशु के लिए जरुरी अनुपूरकों के बारे में आपके कुछ सवाल हों, तो डॉक्टर से बात करें। यदि आपका शिशु शाकाहारी है या वीगन आहार पर है, तो डॉक्टर से बात करना और भी जरुर होती है।
शिशु अधिक ठोस आहार लेना शुरु कर देता है, तो उसका दूध पीना कम हो जाता है। आप यह भी पाएंगी की एक भोजन से दूसरे भोजन के बीच शिशु अब कम समय के लिए स्तनपान करता है या फिर भोजन के बीच स्तनपान अंतत: बंद ही हो गया है। आप यह नहीं माप सकतीं कि आपका शिशु कितना स्तन दूध पी रहा है, इसलिए यह अपने शिशु पर छोड़ दीजिए। हो सकता है वह सुबह सबसे पहले और रात में सोने से पहले स्तनपान करना जारी रखना चाहेगे।
यह ध्यान रखिए कि आपकी ही तरह, आपके शिशु की भूख भी हर दिन बदल सकती है। हो सकता है कई बार आप पाएं कि भोजन लेने के बाद भी शिशु स्तनपान करना चाहते है।
कई बार वह स्तनपान के बाद शायद थोड़ा सा दूध पीना चाहेगा, कई बार केवल आराम पाने के लिए स्तनपान करेगा या फिर कभी वह भरपेट दूध पीएगा। जरुरी है कि आप शिशु के संकेतों को समझें और जब भी वह इच्छा जाहिर करे आप उसे स्तनपान करवाएंगे।
एक बार ठोस आहार शुरू करने के बाद अब आप उसे अन्य पेय देना भी शुरु करना चाहेंगी। इसका सबसे बेहतर विकल्प हमेशा पानी ही है।
ध्यान रखें कि डॉक्टर शिशु को दो साल की उम्र से पहले जूस देने की सलाह नहीं देते। इसके बजाय ताजा और मौसम के अनुकूल फल, प्यूरी या फिंगर फ़ूड के रूप में खिलाएंगा।
बहरहाल, शिशु को एक साल का होने से पहले गाय का दूध मुख्य पेय के तौर पर न दें। जब आप शिशु के आहार में दूध का गिलास शामिल करें, तो भी आप स्तनपान जारी रख सकते हैं।
जब आपका शिशु एक साल का होता है, तो उसे रोजाना केवल कम से कम 350 मि.ली. या ज्यादा से ज्यादा 400 मि.ली. दूध चाहिए होता है। यह स्तनदूध, फॉर्मूला दूध या गाय का दूध या फिर डॉक्टर द्वारा बताया गया कोई भी अन्य दूध हो सकता है। कोशिश करें कि शिशु को एक दिन में चार सौ मि.ली. से ज्यादा दूध न दें। बहुत ज्यादा दूध पीने से शिशु का पेट भरा भरा रहेगा और इससे उसे पोषण से भरपूर आहार खाने की भूख कम लगेगी। शिशु के आहार में दूध शामिल करने के बारे मे जानकारी है।
विश्व स्वास्थ संगठन और स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह है कि शिशु के दो साल का होने तक स्तनपान जारी रखना चाहिए। शिशु के एक साल का होने के बाद स्तनपान जारी रखने को अंग्रेजी में एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग कहा जाता है। यदि आपको लगे कि आपके और शिशु के लिए ऐसा करना सही है तो आप अकेली नहीं हैं। दुनिया भर में बहुत सी माँएं शिशु को एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग कराते हैं।